बीती रात राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम में हुए सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबले में एक ऐसा वाकया हुआ जिसने भारतीय क्रिकेट में बहस का नया विषय छेड़ दिया है। तीसरे ओवर की पहली ही गेंद पर मुंबई के विकेटकीपर-बल्लेबाज़ ईशान किशन का बिना अपील मैदान छोड़ देना न केवल हैरान करने वाला था, बल्कि इसके बाद जो हुआ उसने अंपायरिंग से लेकर खेल भावना तक कई सवाल खड़े कर दिए।
‘ईमानदारी’ या ‘गलती’? ईशान किशन की हरकत बनी चर्चा का केंद्र
घटना उस समय हुई जब ईशान किशन ने दीपक चाहर की एक लेग-साइड लेंथ गेंद को खेलने की कोशिश की, लेकिन गेंद बल्ले से संपर्क किए बिना विकेटकीपर रयान रिकेल्टन के पास चली गई। दिलचस्प बात यह रही कि न ही गेंदबाज चाहर, न कप्तान हार्दिक पांड्या और न ही विकेटकीपर ने कोई अपील की। बावजूद इसके, ईशान खुद मैदान छोड़ने लगे।

इस पूरे घटनाक्रम से अंपायर विनोद शेषन भी भ्रमित हो गए। उन्होंने पहले इसे वाइड बॉल करार दिया था, लेकिन ईशान को पवेलियन लौटता देख उन्होंने उंगली उठाकर आउट दे दिया।
Buying trouble is as easy as pie , but the carrying charges run pretty high … have you ever seen an umpire rule someone out without an appeal ? pic.twitter.com/xhpG8mdB9R
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) April 23, 2025
इस विचित्र स्थिति पर नवजोत सिंह सिद्धू ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट किया, “मुसीबत मोल लेना आसान है, लेकिन इसे ले जाने का शुल्क बहुत ज्यादा है… क्या आपने कभी किसी अंपायर को बिना अपील के किसी को आउट करार देते देखा है?”
वहीं वीरेंद्र सहवाग ने ईशान की ‘ईमानदारी’ को दिमागी थकान बताते हुए कहा, “कई बार उस समय दिमाग काम करना बंद कर देता है। यह दिमागी थकान थी। अंपायर भी पैसे ले रहा है, उसे अपना काम करने दो। अगर यह किनारा होता, तो बात समझ आती। लेकिन यहां तो न आउट था, न अपील, और न ही अंपायर को यकीन।”
सनराइजर्स की हार और लगातार गिरता प्रदर्शन
इस विवाद के बीच एक और बात जो चर्चा में रही, वह थी सनराइजर्स हैदराबाद की लगातार गिरती हुई स्थिति। इस सीजन में आठ मैचों में यह उनकी छठी हार थी, जिससे टीम पॉइंट्स टेबल में नौवें पायदान पर पहुंच गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं केवल नियमों पर सवाल नहीं उठातीं, बल्कि खेल भावना की परिभाषा को भी पुनः जांचने का अवसर देती हैं।
ईशान किशन का यह ‘सेल्फ-डिसमिसल’ आने वाले समय में क्रिकेट नियमों और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं पर गंभीर चर्चा को जन्म दे सकता है।